सरकार की पुनर्वास योजनाओं का नक्सलियों पर दिख रहा असर

दूसरी तरफ सरकार की पुनर्वास की योजना भी बहुत काम कर रही है। समर्पण करने वाले नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं जिसका फायदा दिख रहा है।

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समर्पण करने वाले नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं जिसका फायदा दिख रहा है

सरकार की कल्याणकारी नीतियों एवं प्रशासन की तरफ से हो रही लगातार कोशिशों की वजह से नक्सली संगठन घुटने टेकने पर मजबूर हो गए हैं। संगठन से जुड़े हुए लोग माओवादी नीतियों से तंग आकर धीरे-धीरे आत्मसमर्पण करके मुख्यधारा में आ रहे हैं।

ताज़ा मामला छत्तीसगढ़ के बीजापुर का है। जहां पुलिस को नक्सल विरोधी अभियान में बड़ी सफलता मिली है। छह लाख के इनामी माओवादी दंपती सहित 9 नक्सलियों ने कुछ दिन पहले बीजापुर पुलिस मुख्यालय में आइजी विवेकानंद सिन्हा, कलक्टर केडी कुंजाम और एसपी मोहित गर्ग के समक्ष हथियार समेत समर्पण कर दिया।

प्रशासन के सामने आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों में 3 लाख का इनामी नक्सली नागेश कुरसम उर्फ बुधराम एवं तीन लाख इनामी उसकी पत्नी सोमे उर्फ भीमे उर्फ कुरसुम शामिल है। इनके अलावा दो लाख का इनामी रातू पोयाम और सहदेव नाग, एक लाख का इनामी गणपत वासम, राममूर्ति वासम, कमलू कामा, कुहरामी हड़मो और लक्खू वेट्टि शामिल हैं।

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समर्पण करने पहुंचे माओवादियों ने प्रशासन को एक भरमार, जिन्दा कारतूस और एक देशी कट्टा सौंपा। प्रशासन ने आत्मसमर्पण करने वाले सभी माओवादियों को 10-10 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि दी एवं राज्य की कल्याणकारी नीतियों एवं पुनर्वास के बारे में भी अवगत कराया।

नक्सल संगठन आम नागरिकों को बहला फुसला कर माओवादी संगठन में शामिल करते हैं। इसके बाद उनसे नक्सली वारदातों को अंजाम दिलाते हैं। संगठन में इनका शोषण भी खूब होता है। बहरहाल लोग अब नक्सलियों के खेल को समझने लगे हैं और इससे पीछा छुड़ा रहे हैं।

दूसरी तरफ सरकार की पुनर्वास की योजना भी बहुत काम कर रही है। समर्पण करने वाले नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं जिसका फायदा दिख रहा है। लोग अब बंदूक हथियार से दूर होते जा रहे हैं और आम इंसान की तरह मुख्यधारा में आकर जीवन यापन करने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं।

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