13 लाख के इनामी नक्सल कपल ने किया सरेंडर, संभालते थे नक्सलियों का अर्बन नेटवर्क

सालों तक खून-खराबा किया। कई बड़ी वारदातों में शामिल रहा। एक तरफ, जहां हर वारदात के साथ नक्सल संगठन में उसका कद बढ़ता जा रहा था, वहीं दूसरी तरफ उसके दिल में वापसी की इच्छा भी हिलोरें ले रही थी।

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सरेंडर करने वाले नक्सली कपल नंदू और सती।

राज्य सरकार की कल्याणकारी नीतियों एवं प्रशासन की तरफ से हो रही लगातार कोशिशों के चलते नक्सली संगठन घुटने टेकने पर मजबूर हैं। संगठन से जुड़े हुए लोग धीरे-धीरे आत्मसमर्पण करके मुख्यधारा में आ रहे हैं।

इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में नक्सली कपल एसीएम नंदू और उसकी पत्नी सती उर्फ कमला ने सरकार की पुनर्वास योजना से प्रभावित होकर आत्मसमर्पण कर दिया है। दोनों पर हिंसा के 9 बेहद संगीन मामले दर्ज थे। इन पर सरकार की तरफ से 13 लाख रुपया ईनाम भी रखा गया था। ये कपल महाराष्ट्र के नागपुर में सक्रिय होकर वहां नक्सलियों के शहरी नेटवर्क को मैनेज कर रहा था।

नक्सल संगठन की तरफ से हो रही लगातार हिंसा एवं सरकार की बेहतरीन पुनर्वास योजना से प्रभावित होकर इस दंपत्ति ने प्रशासन से संपर्क साधा और सरेंडर करने का अनुरोध किया। फिर, नेक काम में देरी कैसी। दुर्ग रेंज के आईजी रतनलाल डांगी ने बताया कि पुनर्वास के लिए चल रही सरकारी योजना का लाभ भी दिया जाएगा।

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नंदू ने बताया कि वह पढ़ाई-लिखाई के दौरान ही नक्सल संगठनों के संपर्क में आ गया था। संगठन ने इसका ब्रेनवाश करके इसे खूंखार नक्सली बना दिया। नंदू ने सालों तक खून-खराबा किया। कई बड़ी वारदातों में शामिल रहा। हर एक वारदात के साथ नक्सल संगठन में उसका कद बढ़ता रहा, लेकिन साथ ही उसके दिल में वापसी की इच्छा भी हिलोरें ले रही थी। इस इच्छा को पर दिए सरकार के शानदार रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम ने। लिहाजा, 13 फरवरी, 2019 को नंदू ने अपनी पत्नी के साथ पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया।

बीते कुछ सालों में सरेंडर करने वाले नक्सलियों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। आए दिन ख़बर मिलती रहती है कि कोई न कोई नक्सली आत्मसमर्पण कर रहा है। इस सकारात्मक बदलाव के पीछे कहीं ना कहीं प्रशासन का भय और रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम का लालच काम कर रहा है। तभी तो नक्सली हथियार छोड़ कर मुख्य धारा की ज़िंदगी में वापसी कर रहे हैं।

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